नोटबंदी का फैसला सही, गड़बड़ी नहीं… सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहीं ये अहम बातें

नोटबंदी पर 'आया' सुप्रीम फैसला- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO
नोटबंदी पर ‘आया’ सुप्रीम फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने 4-1 के फैसले से नोटबंदी को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी की प्रक्रिया में गड़बड़ी नहीं हुई। ये फैसला लेने से पहले केंद्र सरकार और RBI के बीच विचार विमर्श हुआ था। हालांकि 5 जजों की इस बेंच में जस्टिस नागरत्ना ने अलग फैसला सुनाया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली सभी 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया। नोटबंदी के फैसले को सही ठहरातते हुए संविधान पीठ के जजों ने क्या कहा, ये हम आपको बताएंगे।

जस्टिस नागरत्ना ने बताया फैसले को गलत 

सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट और रिजर्व बैंक के बीच इस बारे में विचार विमर्श हुआ था, इसलिए इसे असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता। 5 जजों की बेंच में से जस्टिस नागरत्ना का फ़ैसला अलग है। इस संविधान पीठ की ओर से केवल जस्टिस नागरत्ना ने सरकार के इस फैसले को गलत बताया। उन्होंने अपने जजमेंट में कहा कि नोटबंदी को कानून के जरिए लागू करना चाहिए था नोटिफिकेशन के जरिए नहीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, विमुद्रीकरण (नोटबंदी)की शुरुआत कानून के विपरीत और गैरकानूनी शक्ति का इस्तेमाल था। इतना ही नहीं यह अधिनियम और अध्यादेश भी गैरकानूनी थे। इसके चलते भारत के लोगों को कठिनाई से गुजरना पड़ा। हालांकि, इसे ध्यान में रखते हुए कि ये फैसला 2016 में हुआ था, ऐसे में इसे बदला नहीं जा सकता।

सरकार ने RBI से 6 महीने तक किया परामर्श

जस्टिस वीआर गवई ने कहा कि 6 महीने तक केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श हुआ था। हम मानते हैं कि इस तरह के उपाय को लाने के लिए एक उचित सांठगांठ थी, और हम मानते हैं कि विमुद्रीकरण आनुपातिकता के सिद्धांत से प्रभावित नहीं हुआ था यानी कि सरकार ने इस फैसले को शक्ति का दुरुपयोग करते हुए नहीं बल्कि विचार-विमर्श के बाद लिया था। विमुद्रीकरण (नोटबंदी) लाने के लिए RBI के पास कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है। हमने संदर्भ का उत्तर दिया है और इस प्रकार हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह मामले को सीजेआई के समक्ष उचित दिशा-निर्देशों के लिए रखें।

निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं

केंद्र को उपलब्ध शक्ति का मतलब यह नहीं है कि यह केवल बैंक नोटों की किसी एक श्रृंखला (सीरीज) के संबंध में है। यह बैंक नोटों की सभी श्रृंखलाओं के लिए है। जज ने कहा कि नोटबंदी की अधिसूचना वैध है और आनुपातिकता की कसौटी पर खरी उतरती है। नोट बदलने की अवधि को अनुचित नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका की आर्थिक नीति होने के कारण निर्णय को पलटा नहीं जा सकता। निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं थी। SC ने फैसला सुनाया कि नोटबंदी के निर्णय में किसी भी तरह की कानूनी या संवैधानिक खामी नहीं है। CJI द्वारा नोटबंदी प्रक्रिया की वैधता से संबंधित मुख्य मुद्दे पर फैसला लेने के लिए याचिकाओं को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष रखा जा सकता है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *